वेदोके साथ पंडितजी ने अपना जीवन सामाजिक कार्योमे भी अर्पित किया है | तीर्थपुरोहित और तीर्थस्थल ये भारत की संस्कृति की जड़े है | पुरोहित इस शब्द का मतलब है सामनेवाले (यात्रियो) का हित देखना | तीर्थयात्रियो के प्रति किये हुए कार्य को सरहाते हुए आखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासंघ (रजि.) ने पंडित श्री अनंतजी को इस संस्था का 'राष्ट्रीय अध्यक्ष' बनाया है | संपूर्ण भारतवर्ष मे तीर्थस्थलो पर जैसे मथुरा, हरिद्वार, अलाहाबाद, द्वारका ई. ऐसे स्थलोपर संस्था की शाखाए है | 'तीर्थोका विकास ही भारत का विकास है' ऐसी इस संस्था की सोच है | इस संस्था के माध्यम से पंडित अनंतजी का भ्रमण पूरे भारतवर्ष के तीर्थस्थलो पर होता रेहता है |
श्री. विशालजी ने यात्रीयोका ज्ञान बढ़ाने के लिये कुछ किताबे भी लिखकर प्रदर्शित की है |